कंचन मृग - 27. पर्व हम कराएँगे

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27. पर्व हम कराएँगे- महोत्सव में महाराज परमर्दिदेव प्रतिदिन स्थिति का आकलन करते,पर भुजरियों के पर्व के सम्बन्ध में कोई निर्णय नहीं कर सके। पर्व का दिन निकट आ रहा था। महारानी मल्हना का संकट बढ़ता जा रहा था। हर व्यक्ति पर्व की ही बात करता। चन्द्रा वामा वाहिनी बना, चर्चा का विषय बन गई थी। लोग व्यंग्य करते, पुरुष चूड़ियाँ पहनेंगे और नारियाँ नेतृत्व करेंगी। पर महारानी को युद्ध की विभीषिका का अनुमान था। वे जोखिम नहीं उठाना चाहती थीं। उन्हें अपनी असमर्थता पर क्षोभ हो रहा था। चन्द्रा के आ जाने पर उन्होंने कहा, ‘तुमने वामा वाहिनी बना