कालवाची-प्रेतनी रहस्य-सीजन-२--भाग(२२)

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जिस समय चारुचित्रा ईश्वर के समक्ष प्रार्थना कर रही थी उस समय उसके आँखों के अश्रु अविरल बहते ही जा रहे थे,कुछ समय प्रार्थना करने के पश्चात् वो राजमहल के प्राँगण में चिन्तित होकर टहलने लगी,तभी उसके समीप कालबाह्यी आकर बोली.... "रानी चारुचित्रा! आप तनिक भी चिन्ता ना करें,महाराज को कुछ नहीं होगा" "मुझे झूठी सान्त्वना मत दो कालबाह्यी!",चारुचित्रा क्रोधित होकर बोली... "आपके कहने का तात्पर्य नहीं समझी मैं",कालबाह्यी बोली... "तात्पर्य....तुम तात्पर्य जानना चाहती हो तो सुनो, मैं ये पूर्ण विश्वास के साथ कह सकती हूँ कालबाह्यी! कि ये सबने तुमने ही किया है",चारुचित्रा क्रोधित होकर बोली... "जी! आपका अनुमान