लागा चुनरी में दाग़--भाग(१०)

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रेलगाड़ी आने में अभी थोड़ा वक्त था,इसलिए दोनों स्टेशन पर रेलगाड़ी के आने का इन्तज़ार करने लगे, तभी प्रत्यन्चा ने शौकत से कहा... "शौकत भाई! तुमसे एक बात पूछूँ", "मुझे मालूम है कि तुम मुझसे क्या पूछना चाहती हो",शौकत बोला... "भाई! तुमने कैंसे अन्दाजा लगा लिया कि मैं तुमसे क्या पूछना चाहती हूँ",प्रत्यन्चा बोली... "तुम शायद महज़बीन के बारें में जानना चाहती हो कि वो मेरी क्या लगती है",शौकत बोला... "हाँ! शौकत भाई! मैं तुमसे महज़बीन के बारें ही पूछना चाहती थी",प्रत्यन्चा बोली.... "महज़बीन मेरी कुछ भी नहीं है और मानो तो वही मेरी सबकुछ है",शौकत बोला... "ये कैसा रिश्ता