द्वारावती - 9

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9संध्या हो चुकी थी। महादेव जी की आरती करने के लिए गुल मंदिर जा चुकी थी। गुल ने घंटनाद किया, पुजारी जी ने आरती की। महादेव जी को भोग लगाया । प्रसाद लेकर गुल मंदिर से बाहर निकली ही थी कि उसके सम्मुख प्रसाद के लिए बढ़ा हुआ एक हाथ आ गया। गुल ने उस हाथ में प्रसाद रख दिया, उस हाथ के मुख को देखा। वह उत्सव था। दोनों की द्रष्टि मिली। दोनों में से कोई कुछ नहीं बोला। गुल चलने लगी, उत्सव उसके पीछे चलने लगा। दोनों गुल के घर आ गए। “खाना खाओगे?” गुल ने पूछा। “नहीं।”“क्यों?”“यदि