द्वारावती - 8

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महादेव की आरती में घंटनाद करने के पश्चात उत्सव वहाँ से चला गया था। समुद्र के मार्ग पर चलते चलते वह उसी स्थान पर आ गया जहां उसे बाबा मिले थे। वह एक स्थान पर बैठ गया। सामने असीम समुद्र तथा उनकी लहरें। एक लयबध्ध ध्वनि उत्सव को सुनाई दे रही थी।‘वह कहती थी कि इस ध्वनि में कृष्ण की बांसुरी की मधुर धुन है। किन्तु मुझे तो लहरों की ध्वनि ही सुनाई दे रही है। लगता है पंडित गुल असत्य कह रही हो अथवा भ्रमित कर रही हो।’ ‘इसी भ्रम के कारण ही तो तुम उसे छोड़ चले आए।’