कंचन मृग - 9-10. विश्वास नहीं होता मातुल

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9. विश्वास नहीं होता मातुल आल्हा प्रस्थान का निर्देश दे ही रहे थे कि माहिल आते दिखाई पड़ गए। आल्हा रुक गए, माहिल को प्रणाम कर पूछा, मातुल कोई नया संदेश ?’ कोई नवीन संदेश नहीं है। सत्ता केन्द्र षड्यन्त्र के केन्द्र बनते जा रहे हैं जिस पर विश्वास कीजिए, वही जड़ काटने का प्रयास करता है। आपके निष्कासन से मुझे भयंकर पीड़ा हो रही है’, कहते-कहते माहिल की आँखों में आँसू आ गए।‘इतने दिन का ही अन्नजल विधि ने लिख रखा था मातुल । माँ शारदा की अनुकम्पा बनी रहे तो सभी कष्टों का निवारण होता रहेगा। महाराज सुखी