कंचन मृग - 8. हर व्यक्ति चुप है

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8. हर व्यक्ति चुप है- चन्द्रा मुँह ढाँप बिस्तर पर पड़ी है। चित्रा पंखा झल रही है। चित्रा चन्द्रा को प्रसन्न करना चाहती है पर उसे कोई युक्ति नहीं सूझती। उसने शक्ति भर प्रयास भी किया पर चन्द्रा के कष्ट को कम न कर सकी। उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करे? चन्द्रा की विकलता कम होने की अपेक्षा बढ़ती जा रही थी। चित्रा मन बहलाने के लिए कोई कथा या संवाद सुनाने का प्रयास करती पर इससे चन्द्रा की अशान्ति कम न होती। कभी-कभी मन और उद्विग्न हो उठता। चित्रा ने कहा कि लहुरे वीर से