मिलने की राहें

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1.किस पर कितना विश्वास बता दूं,कौन आम कौन खास बता दूं चोरी और बेईमानी का पैसाआता नहीं कभी रास बता दूं पतझड़ सा लगता ये जीवन कैसे भला मधुमास बता दूं कब बढ़ जाती प्यार में दूरी होता नहीं अहसास बता दूं मिलते ही कुर्सी सब के वादे,ले लेंगे संन्यास बता दूं खून चूस कर मजदूरों का,रखता वो उपवास बता दूं पहने हुए जो सफेद लिबास काला उनका इतिहास बता दूं इंसानियत का इस दुनियां सेहो गया स्वर्गवास बता दूं जनता की परवाह किसे भलासत्ता के सब दास बता दूं बिछड़ कर मुझसे वो भी कितना रहता होगा उदास बता