तूफानी हवाएं और गहरा सन्नाटा हमने कार हवेली के गेट के पास रोक दी..रोहन कार से निकले और हवेली का गेट खोला और हम हवेली के अंदर चले गए.. हवेली मैं बिजली नही थी.हमने अपने मोबाइल की लाइट ऑन की और कमरे की और जाने लगे।ये सब थक गए थे सोचा के आज एक कमरे मैं रह लेते है कल सुबह देखेंगे, मेरी नजर अचानक दीवारों पर लगी तस्वीरों पर गई.और उन तस्वीरों को देख कर लग रहा था के ये तस्वीरे कुछ कहना चाह रही है।शगुन बच्चो को ले कर कमरे के और बढ़ती है...और कमरे का दरवाजा खोलने