में और मेरे अहसास - 99

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पिंजरा    सोने का पिंजरा हैं फिर भी पंछी उदास हो रहा है l खुले आसमाँ की तरह मुकम्मल आज़ादी कहा है ll   सुना सुना लम्हा लम्हा सुने सुने रात और दिन कि l अभी तक दरिया जीतना पानी निगाहों से बहा है ll   बड़े से आलीशान बंगले में कई विचित्र प्राणी की l भीड़ में रहते हुए उसने अकेलेपन का दर्द सहा है ll   उड़ने की मज़ा कब ले सकेंगा वहीं सोचता है  वो l सुकून ए साँस जंगलों की हवा बहती हो वहा है ll   बैगानो की बस्ती में आ बसा है वो जीना