वाजिद हुसैन की कहानी वह एक गोरा, ख़ूबसूरत पतला- छरहरा नौजवान था जो एक अच्छे खाते- पीते देहाती परिवार से शहर आया था। वह एक मोहल्ले में एक किराए के कमरे में रहता था। ... फिल्में तो उसने बहुत देखी थी, जिन्होंने उस पर गहरा असर डाला ...। उसके बाद वह शहर की उग्र राजनीतिक हलचलों में भाग लेने लगा। ... लेकिन कुछ ही दिनों बाद वह तेज़ी से साहित्य की ओर मुड़ा। अब वह लंबी प्रेम- कहानियां ओर कविताएं लिखने के साथ रतजगा करने लगा। ...वह एक पत्रिका का सब एडिटर हो गया था। अब अपने से बहुत संतुष्ट