बेटी की अदालत - भाग 5

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स्वीटी के दादा-दादी हों या फिर नाना-नानी वे चारों अंदर ही अंदर उनके मन में यह जानते थे। लेकिन आज सबके सामने इस बात का खुलासा होता देखकर उन्हें बहुत दुख हो रहा था। वे सब नहीं चाहते थे कि इस बात का ज़िक्र इस तरह से हो। लेकिन स्वीटी तो दिल की बड़ी ही साफ़ लड़की थी। वह जो भी महसूस कर रही थी उसे कहने में उसे जरा-सी भी हिचकिचाहट नहीं हो रही थी। वह जानती थी कि यह सब उसके अपने ही तो हैं। वे तो उसके पापा-मम्मी के पापा-मम्मी ही हैं। बात को संभालते हुए स्वीटी