बेटी की अदालत - भाग 4

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आज रात को स्वीटी अपने पापा-मम्मी के कमरे में ही थी। लेकिन वह देख रही थी कि आज दोनों ही शांत थे क्योंकि दोनों के माता-पिता आए हुए थे। कौन क्या कहे। रात के अंधेरे साये ने उन सभी को नींद की गिरफ़्त में ले लिया। सब गहरी नींद में सोए थे लेकिन स्वीटी की आँखों से नींद कोसों दूर थी। वह कल सुबह का बेसब्री से इंतज़ार कर रही थी। उसे सचमुच की अदालत में जाने से पहले ही उसके मम्मी-पापा को रोकना था। कल उसे अपने ही घर में एक अदालत खोलनी थी; जिसकी वकील भी वह स्वयं