" माही क्या हुआ?? कोई सपना देखा क्या??" शालू ने आकर उसे गले लगा लिया। " हां शालू दी ..!! फिर से वहीं सपना.!! ओर ये जज साहब कौन है दी..?" माही बोली तो दरवाज़े पर खड़े अबीर और मालिनी ने एक दूजे को देखा ओर शालु ओर माही के पास आ गए। "क्या हुआ माही बेटा?" इतना क्यों घबरा रही हो?" मालिनी ने उसके पास बैठकर कहा तो माही उनके सीने से लग गई। अबीर भी उसके दूसरी साइड बैठ गए और उसके सिर पर हाथ फिराया। " घबराने की जरूरत नहीं है माही बेटा कोई भी तुम्हारा कुछ