डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा की लघुकथाएँ - 3

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डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा की लघुकथाएँ 03 जैसी करनी वैसी भरनी "महाराज, मुझ पर रहम कीजिए। कृपया अपने निर्णय पर एक बार पुनर्विचार कीजिए। ऐसा कैसे हो सकता है कि अपना पूरा जीवन मंदिर में दिन-रात माता-रानी की सेवा में बिताने वाला मैं मुख्य पुजारी नर्क में जाऊँ और उसी मंदिर में झाड़ू-पोंछा करने वाला भंगी स्वर्ग में जाए ? महाराज मुझे लगता है कि चित्रगुप्त जी की गणना सही नहीं है। कृपया एक बार फिर से मेरे लेखा-बही की जाँच करवाइए।" पंडित जी ने यमराज से आग्रहपूर्वक कहा। "पंडित जी, यह मृत्युलोक नहीं है, जहाँ दुब