"अरी !भाग्यवान सुनती हो,ये लो सब्जी-भाजी का थैला,जो जो तुमने मँगाया था ले आया हूँ",दिलीप यादव जी बोले... "जी! अभी आई", और ऐसा कहकर सरयू अपने पति दिलीप के पास आई और उनके हाथ से सब्जी का झोला उठाकर रसोईघर की ओर मुड़ गई.... ये दिलीप यादव जी और उनकी पत्नी सरयू,भरापूरा परिवार है उनका,दो बेटे ,दो बहूएँ,तीन पोते और एक पोती,दिलीप यादव जी बैंक से रिटायर्ड कैशियर हैं,लेकिन उनके बेटे पढ़ लिखकर उनकी तरह सरकारी नौकरी नहीं पा पाए,इसलिए उन्होंने उन दोनों को एक कपड़े की दुकान डलवा दी,अब दोनों दुकान सम्भाल रहे हैं और अच्छा खासा पैसा कमा