60 अतीत दो दिन ऐसे ही गुज़र गए। तन्मय अँधेरे कमरे में बैठा हुआ है, हल्की सी रौशनी उसके कमरे में आ रहीं है। उसके हाथ-पैर रस्सी से बंधे हुए हैं। उसे खाना देते वक्त उसक हाथ खोल दिए जाते, हालांकि पानी पीने के अलावा, वह बड़ी मुश्किल से यह सोचकर खाता कि उसे अपनी मम्मी तक पहुँचना है। उसने कई बार पूछा कि उसे यहाँ क्यों लाया गया है। मगर जवाब में उस जूते और घूँसे खाने को मिले, उसे समझ नहीं आ रहा कि वह कैसे यहाँ से निकले। उसे डर भी लग रहा है, साथ ही