प्यार से हैं ज़िंदगी

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1.तुम्हें चाहा और मैने पा लिया के चांद!पर तुम्हें पाने की इक चाहत मेंखुद को ही खो दिया मैने!इसे खुद कीखुशनसीबी कहूँ मैं !या कहूँ तुम्हारी चाहत का नशा....पाकर तुम्हे खुश तो बहुत हूँ मैं!पर इस खुशी मेंखुद को ही खो दिया है मैने!2.हमें उन पर भरोसा थाउन्हे लगा हम उनके भरोसे है...3.उम्र के इक हिस्से से मैंने सीखा कोई किसी के लिए हमेशा नहीं रहता वो जाएगा तुमसे जरा सा भी बेहतर मिलते ही और बता के जाएगा ख़ामिया तुम्हारी 4.प्रेम सदा से ही सरल था, करने वाले इसे समझ न सके.. उनकी क्षमता से बाहर था, इसलिये जटिल