पागल

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  यह वही साल था जब भारत में इन्टरनेट ने अपने कदम रखे थे। भारत पूरे विश्व के साथ कदम-से-कदम मिलाकर चलने के लिए तैयार था। पर यह बात सिर्फ गिने-चुने बड़े शहरों तक ही सीमित थी। अभी भी इन्टरनेट, टीवी तो छोड़ ही दीजिए, देश के पंचानवे प्रतिशत गाँवों में ढंग से बिजली तक नहीं पहुँची थी।    उत्तर भारत के हिन्दू बाहुल्य गाँव में किसी बड़े बुजुर्ग को यह स्वीकारने में भी कठिनाई होती थी कि मांस-मछली मुसलमान के अलावा भी काफ़ी लोग खाते हैं। वे ऐसे लोगों को ओछी नज़रों से देखते थे। उन्हें इस बात की