सत्यार्थ -सात भागो में

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सत्यार्थ - प्रथमप्राणि के जन्म जीवन की खास बात यह है कि जो उसके निहित स्वार्थ शुख बैभव भोग के तथ्य तत्व माध्यम है उन्हें ना तो वह छोड़ना चाहता ना ही विस्मृत करना चाहता है।अपने निहित स्वार्थ भोग को ब्रह्माण्ड में जीवन सत्यार्थ स्वीकार कर उसी में रम जाना चाहता है जबकि उंसे भी यह पता है कि यह सत्य नही है।मौलिक मूल्यों संस्कारो को तिलांजलि दे देता है जो उसके जीवन जन्म का वास्तविक सृष्टिगत उद्देश्य होता है क्योंकि नैतिकता सांस्कारआचरण के आस्तित्व को तमश से उजियार तक प्रखर निखर होने में उंसे चुनौतियों संघर्षो कि कठिन परिस्थितियों