प्रेम गली अति साँकरी - 134

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134==== ============== जब शर्बत की बॉटल के बारे में पता चला था मैंने महाराज से वह बॉटल अपने कमरे के एक ऐसे कोने में रखवा दी थी जिससे किसी की नज़र उस पर न पड़े और बाद में उसके बारे में असलियत पता की जा सके | एक ज़रा सी शर्बत की बॉटल क्या हो गई जैसे उसके चारों ओर ज़िंदगी ही घूमने लगी लेकिन जिस बात से ज़िंदगी पर फ़र्क पड़ जाए, वह भी इतना अधिक कि साँसें लेना मुहाल होने लगे उसकी वास्तविकता तो जाननी ही थी | अब समय था कि महाराज उस लड़के से पूछें कि