133=== ================ “बहुत सी बातें करनी हैँ शीला दीदी!”मेरे गीले शरीर का आधे से अधिक भाग उनके कंधे पर टिक गया था | उन्होंने महसूस किया कि मेरी सारी देह ऐसे काँप रही थी जिसे कोई करंट छू गया हो | “ठीक हो न ?”उन्होंने पूछा और एक बार फिर से मेरी आँखों से आँसुओं के बांध ने टूटना शुरू कर दिया | “एक काम करो, पहले ज़रा व्यवस्थित हो जाओ, अच्छा है अपनी नाइट-ड्रेस पहन लो | सिर में तेल मलवा लेतीं तो अच्छा था पर अब सब बाल गीले हैं | ” उन्होंने मुझे अपने सीने से चिपटाए