लघुकथा बकरे की अम्मा " साब जी ! नया कानून तो लाजवाब है। " " किस कानून की बात कर रहे हो दिलबर ?" " साब जी , अब हर बलात्कारी की सजा मौत मतलब फांसीं से कम कुछ नहीं। " " होना भी यही चाहिए पर इस बात पर तुम क्यों गुब्बारा हो रहे हो ? " " साब जी , समझे नहीं आप ! नोटिफिकेशन आते ही यूँ समझ लीजिये कि रशियन वोल्गा हर रात के लिए पक्की। " " क्या अनाप - शनाप बके जा रहे हो । आज दिन में तो नहीं चढ़ा ली ? "