प्रेम गली अति साँकरी - 129

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129==== ============== अम्मा-पापा की वाकई इस बार जाने की पूरी तैयारी थी, अब मेरे भीतर एक खाली ठंडेपन की सरसराहट  महसूस होने लगी थी जिसे केवल मुझे ही दबाकर रखना था| भाई भी नहीं होंगे, जो था अब शीला दीदी का पूरा परिवार और मैं---और करने के लिए, समस्याओं का समाधान निकालने के लिए गठरी भर पोटला जो न जाने अभी किस स्थिति में खुलने वाला था और जिसे मेरे सिवाय और कोई कुछ समझने की स्थिति में हो ही नहीं सकता था|  संस्थान के पेपर्स की मेरे नाम पर पहले ही ‘पॉवर ऑफ़ एटॉर्नी’करवा दी गई थी जिनमें मेरे