7गुल समुद्र को देख रह थी। समुद्र की ध्वनि के उपरांत समग्र तट की रात्री नीरव शांति से ग्रस्त थी। किन्तु गुल का मन अशांत था। वह विचारों में मग्न थी।‘वह रात्री भोजन के लिए भी नहीं आया। समुद्र के तट पर सोते हुए महादेव के मंदिर तक गया, आरती के लिए घंट बजाया और चल दिया। मैंने उसे पुकारा भी था पर वह नहीं रुका। एक बार पीछे मुड़कर भी नहीं देखा।’ ‘हो सकता है उसने तुम्हारे शब्द सुने ही ना हो।’ ‘तो क्या? यदि उसे मुझ से काम था, मेरा नाम लेकर आया था तो मुझ से मिलकर