द्रोहकाल जाग उठा शैतान - 49

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एपिसोड ४९"एक लंका?..एक लंकाउ...?" लंकेश अपने विचारों में इतना डूबा हुआ था कि वह संतया को पुकारते हुए भी नहीं सुन सका। संतया ने लंक्या को कई बार पुकारा, लेकिन उसने हां या ना नहीं कहा! वह एक मूर्ति की तरह अपनी जगह पर जम गया था। सेंटनी ने धीरे से उसकी ओर देखा और एक हाथ बढ़ाकर उसके हाथ पर चुटकी काट ली। “आह..सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सो के बाद लंका की नींद टूट गई, वह अपना हाथ मलने लगा। "क्या हाय माँ?" लंका ने थोड़ा हँसते हुए कहा। "अर पोखलू की आपन! चलो उतरो!" संत्या के इस वाक्य पर लंका ने धीरे