आसरा। वों सात परियाँ

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(अब जब यह सच्ची कहानी आपके लिए लिख रहा हूं तब मैं गांव से वापस लौट आया हूं आपने गुजरात के घर ,उम्मीद है इसे वैसे ही लिख्खू जैसी यह कहानी है।मुझे उम्मीद हे की इस कहानी से आप यकीन करना भी सीखेंगे और कहानी पढ़कर आनंद भी उठाएंगे । मैने जानबूझकर गांव का नाम और अन्य कुछ नाम बदल दिए हे,जिनमे कुछ नाम वही रखे है तो कुछ बातें और किस्से भी वही है।)एक गांव के आखिर में यह चुना मिट्टी से बना घर था ।कहने में तो सिर्फ चुना और चिकनी मिट्टी का घर पर देखने से कोई