करन थापर सतरुपा के बताए हुए पते पर पहुँच गया,उसने वहाँ जाकर देखा कि वो बस्ती बहुत ही गन्दी थी,सँकरी सँकरी गलियाँ,यहाँ वहाँ बहती नालियाँ और गाली गलौच करते लोग,सतरुपा की खोली को जाने वाली गली भी बहुत ही सँकरी थी,इसलिए उसने अपनी कार वहीं खड़ी करने में ही समझदारी समझी,फिर वो अपनी कार वहीं खड़ी करके सतरुपा की खोली की ओर बढ़ गया,उसने सतरुपा की खोली के सामने पहुँचकर दरवाजे पर दस्तक दी तो भीतर से आवाज़ आई.... "आती है....अभी आती है मैं" फिर सतरुपा ने दरवाजा खोला,करन ने उसका हुलिया देखा तो वो उसे देखता ही रह गया