नासाज़ - 8 - तमंचे पे डिस्को

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शायद मेरी जिंदगी अब रुक सी गई है, इसमें अब वह खामोशी भी मर चुकी है, जो भले ही मेरे बेरंग जिंदगी में कोई खुशी तो न लाती थी , पर वह जरूर मेरे जिंदगी की ताल्लुकात अजनबियों को करवा जाती थी, मैंने जिंदगी में बहुत से धोखे खाए है, कई बार सड़कों पर भी दिन गुजारे है, भूखे पेट कई बार सोकर, आंखों के खारेपन की मिठास को चख कर मैंने अपनी भूख शांत की है, जब मैं अपनी टॉयलेट क्लीनर की बैच नहीं बेच पाती थी, मुझे किसी की हमदर्दी की जरूरत नहीं थी, मैंने कई बार कोशिश