मां जो सुनने से ही पूर्णता से भरा होता है , मां जिसकी महिमा कही व सुनी नहीं जा सकती। वह अस्तित्व को पूर्ण करने वाली जनन होती है। हमे उसके उपकार नही भूलने चाहिए। झगड़ा बढ़ता गया सावरी ने कहा कि इस घर में या तो मैं रहूंग या तुम्हारी मां। श्याम धर्मसंकट में पड़ गया। श्याम ने समझाया की बूढ़ी मां कहां जायेगी थोड़ा अर्जेस्ट कर लो। पर श्यामली घायल सर्पिणी की तरह फुफकार भरकर बोली इन्हे वृद्धाश्रम क्यों नहीं भेज देते। श्याम के ह्रदय पर जैसे वज्रपात हुआ हो।और यह वज्रपात मां के कानो ने भी सुना।