कुछ पल के लिए सब उस खिड़की की तरफ ऐसे देखें रहे थे मानो वक्त ने सबको उसी पल मैं कैद कर दिया हो फिर श्रेयस ने अपने घाव पर हाथ रखते हुए अपने कदम उस खिड़की की तरफ बढ़ाए जिसकी आहट से सब होश मैं आए और उसे देखते रहे,वो जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा था जमीन पर उसके खून की बूंदे गिर रही थी,मैं खिड़की के पास पहुंचा तो ठंडी बहती हवा मेरे शरीर को ठंडा कर रही थी वहा से खड़े होकर उस ऊंचाई से मैने नीचे देखा और एक गर्म सांस छोड़ी जो मेरे घाव तक मेहसूस