प्रफुल्ल कथा - 23

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आकाशवाणी इलाहाबाद केंद्र पर जबरन दूसरी बार भेज दिए जाने और उस अवधि में वहाँ बेमन से काम करने के बाद मैनें 13 जुलाई 1984 को समान पद पर आकाशवाणी गोरखपुर ज्वाइन कर लिया | यहाँ मेरे सहकर्मी के रूप में कुछ नए लोग भी आ चुके थे |जैसे - वी० के० श्रीवास्तव, दिनेश गोस्वामी , अनिल भारती,बृजेन्द्र नारायण,सुनीता काँजीलाल , विनय कुमार आदि | मुझे केंद्र पर एडजेस्टमेंट की कोई दिक्कत ही नहीं थी |जाना पहचाना केंद्र था ,जाने पहचाने लोग थे | कवि–संपादक डा०धर्मवीर भारती ने अपनी कविता “मैं क्या जिया” में जीवन की परिभाषा कुछ इस प्रकार