उजाले की ओर –संस्मरण

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=============== नमस्कार प्रिय मित्रों कभी ऐसा लगता है न कि अभी सब कुछ इतना अच्छा चल रहा है, चारों ओर खुशियाँ हैं, मन के द्वार पर तोरण है, मन में मधुर आस है, विश्वास है, जीवन को जीने की एक नवीन दृष्टि किसी कोने से आकर छा गई है मन-मयूर नृत्य करने के लिए उत्साहित, उत्फुल्ल है और अचानक कहीं से न जाने कैसी आँधी आ गई कि सब कुछ उलट-पुलट हो गया | सारा उत्साह, प्रफुल्लता एक ओर आंधी के साथ बह जाते है | हम सभी यह भली प्रकार जानते, समझते हैं कि इस जीवन में इस प्रकार