मैं तो ओढ चुनरिया - 54

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  55 फेरों का मुहुर्त आ गया था । वर पक्ष के लिए वेदी की दाई ओर गद्दे बिछाए गए । उस पर चादरे बिछाई गई । घर के लोगों के लिए बाईं ओर चादरें बिछी । सामने पंडित जी का आसन लगाया गया था । उसके ऐन सामने वर वधू के बैठने की व्यवस्था की गई थी । थोङी देर में ही वर पक्ष के लोग फेरों के लिए हाजिर हो गये । वर को हाथ पैर धुला कर आसन पर बैठाया गया । पंडित जी ने वर पूजा शुरु करवाई । पिताजी ने वर की पूजा की ।