पथरीले कंटीले रास्ते - 2

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  पथरीले कंटीले जंगल    2   लङके को उस बैंच पर बैठे बैठे आधे घंटे से ज्यादा हो गया था । इस समय दीवार से सिर टिकाये , आँखे बंद किये अपनी ही सोचों में खोया हुआ था । मुंशी ने सिर उठाकर घङी देखी । चार बजने को हैं । अभी साहब आते होंगे । चार और सवा चार के बीच किसी भी समय आ टपकते हैं । उसने मेज पर बिखरी फाइलें एक ओर सरका कर एक के ऊपर एक करके टिकाई । एक फाइल खोल कर मेज पर टिकाकर उस पर  पैंसिल टेढी करके रखी ।