भाग -8 रात को जब काशी रेणु और उसकी माँ, तीनों साथ में बैठे तो काशी ने आज का पूरा किस्सा रेणु को बताया. रेणु यह जानकर खुश हुई कि उसकी माँ को एक ऐसा काम मिल गया जिसमें उनको ज्यादा थकान नहीं होगी और किसी तरह की कोई दौड़-भाग भी उन्हें नहीं करनी होगी. इधर रेणु को मन ही मन ‘आदि’ का इंतज़ार था. वह रोज एक चक्कर उसके घर का लगा आती, यह सोचकर कि शायद आज वह आ गया होगा. पर हर बार उसके दरवाजे पर ताला देखकर उदास मन से लौट जाती. कई महीने गुजर