निरुत्तर - अंतिम भाग

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विशाखा अब वंदना की ज़ुबान से निकले कड़वे शब्दों को सुनकर मन ही मन पछता रही थी कि यह उसने क्या कर डाला। उसे अपनी सास कामिनी के साथ दुर्व्यवहार नहीं करना चाहिए था।विशाखा की माँ उर्वशी ने कहा, “वंदना बेटा तुम्हारी हर बात सोलह आने सच है। विशाखा ने गलती की। हमने उसकी गलती को बढ़ावा दिया शायद अपने स्वार्थ की ख़ातिर कि यहाँ हम सुख सुविधा से रहेंगे। यह हमारी गलती है बेटा।” विशाखा ने हिम्मत करते हुए कहा, “हाँ वंदना मुझे माफ़ कर दो।” वंदना ने कहा, “आंटी जी मैं इस समय प्रेगनेंट हूँ पर डरती हूँ;