कालवाची-प्रेतनी रहस्य-सीजन-२-भाग(८)

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हाँ! मैं धवलचन्द्र हूँ! कालबाह्यी! तुम इतने दिवस से मुझसे मिलने नहीं आई तो मैं स्वयं ही तुमसे मिलने चला आया ,धवलचन्द्र बोला.... यदि तुम्हें यहाँ किसी ने देख लिया तो हम दोनों का सारा रहस्य खुल जाएगा ,मनोज्ञा बनी कालबाह्यी बोली... मुझे राजमहल में आते कोई नहीं देख सकता कालबाह्यी!,तुम्हें ज्ञात है ना कि मेरे पास कैंसी कैंसी शक्तियाँ हैं ,धवलचन्द्र बोला.... तुम्हारी शक्तियों के विषय में मुझे ज्ञात है धवलचन्द्र! किन्तु तब भी तुम्हें यहाँ नहीं आना चाहिए था,कुछ तो सोच विचार कर लिया करो ,मनोज्ञा बनी कालबाह्यी बोली... क्यों नहीं आना चाहिए था,क्या मेरा आना तुम्हें अच्छा नहीं लगा,मुझे तुम्हारी याद