वंदना एक बहुत ही कुशल प्रेरक वक्ता थी। वह अपने प्रेरणात्मक भाषणों से समाज को एक नई दिशा देने की जवाबदारी लेना उसका कर्तव्य समझती थी। लोगों को उसकी कही बातें बहुत अच्छी लगती थीं। लेकिन प्रश्न यह था कि उनमें से कितने लोग उन बातों को अपने जीवन में अपनाते हैं या उस हॉल से बाहर निकलते ही सब हवा के साथ उड़ाकर अपने घर लौट जाते हैं। वंदना केवल लिखती ही नहीं थी, वह जो भी लिखती थी उसे ख़ुद के जीवन में शामिल भी करती थी। इसीलिए उसका स्वयं का घर सुख और शांति का सुंदर मंदिर