अध्याय तेरह हिन्दुस्तान की लाज रखो ! अवध में विद्रोह की आग गाँव-गाँव फैल चुकी थी पर सब की नज़रें दिल्ली पर थीं। दिल्ली में बख़्त खाँ के नेतृत्व में विद्रोही सेनाएँ भयंकर युद्ध कर रहीं थीं। बख़्त खाँ सामान्य परिवार से था, अपनी कर्मठता और योग्यता से उसने दिल्ली की विद्रोही सेना का नेतृत्व अर्जित किया था पर उसका विरोध भी कम नहीं था। शाही परिवार से सम्बद्ध लोग उसकी श्रेष्ठता स्वीकार नहीं कर पाते। कभी-कभी उसके निर्देशों की अवहेलना कर जाते। बादशाह का समधी इलाही बख़्श, बख़्त खाँ से बहुत चिढ़ा हुआ था। अँग्रेजों ने उसे पटा लिया।