जुनून ए विक्रांत

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रात में तारों से लिए गए अधूरे शब्द।। संघर्ष ए विक्रांत एपिसोड - 1कहानी में प्रयुक्त सभी पात्र और स्थान काल्पनिक है और इनका वास्तविकता से कोई संबंध नहीं है। धन्यवाद।।शाम का वक्त है। कुछ कुछ सूरज अभी नज़र आ रहा है। शहर के बाहर एक टूटी फूटी चाय की रेडी नजर आ रही है या फिर यूं कह लो की चाय का कोई छोटा सा ठेला है जिस पर इस वक्त एक आदमी जिसका नाम सूरज बाबू है अपने सर पर लाल मुक्का बांधकर सीना कसकर और छाती चौड़ी करके मर्द बना खड़ा है क्योंकि वो इस ठेले का