प्रेम गली अति साँकरी - 120

  • 1.2k
  • 411

120— =============== लीजिए, हो गया सब ताम-झाम, क्या हुआ? कुछ खबर ही नहीं, हाँ जिस समाज से भयभीत हो मैंने यह उत्कृष्ट कृत्य किया था क्या वह समाज इस पर मुझे ठप्पा लगाकर भेज सकता था कि मैं सही थी, मैंने बहुत बड़ी कुर्बानी करके समाज में कोई आदर्श स्थापित कर दिया था? क्या मेरे दिल की धड़कनों को एक सच्चे प्रेम के अहसास से सींच सकता था? क्या मैं जानती, समझती भी थी कि आखिर यह ‘सच्चा’था किस चिड़िया का नाम ? यह तो सूखे हुए वृक्ष की एक लटकी हुई डाली पर इधर से उधर ही डोलता रहा