अन्धायुग और नारी - भाग(५०)

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लेकिन कहते हैं ना कि मुसीबत पूछकर नहीं आती तो एक दिन उस हवेली पर मुसीबत आ ही गई,ना जाने कैंसे दंगाइयों को पता चल गया कि मैं और त्रिलोक वहाँ रह रहे हैं,चूँकि हम दोनों ही वहाँ हिन्दू थे और जिसका डर था वही हुआ,एक रात कुछ दंगाई हाथों में मशाल और हथियार लेकर हवेली के गेट की ओर टूट पड़े,अकेला चौकीदार भला उन सभी को कैंसे सम्भाल पाता,उसने कोशिश की भी सभी को रोकने की लेकिन उन दंगाईयों ने उसे रौंद डाला,उसे रौंदकर वो हवेली के मुख्य दरवाजे तक पहुँच गए,जब हम सबने वो शोर सुना तो हम