इसके पश्चात दोनों अपनी व्यवस्था बनाकर वैतालिक राज्य की ओर चल पड़े,कालवाची और भूतेश्वर अभी वैतालिक राज्य पहुँचे ही थे कि उन दोनों को अचलराज ने बंदी बनाकर बंदीगृह में डलवा दिया,कालवाची और भूतेश्वर सैनिकों से पूछते रहे कि उन दोनों का अपराध क्या है परन्तु किसी सैनिक ने उन्हें कोई उत्तर नहीं दिया,इसके पश्चात जब वे वैतालिक राज्य के बंदीगृह में पहुँचे तो तब उनसे भेंट करने अचलराज वहाँ पहुँचा,अचलराज को देखकर कालवाची अत्यधिक प्रसन्न हुई और उससे बोली... "मुझे पूर्ण विश्वास था अचलराज की तुम यहाँ अवश्य आओगें,देखो ना हम दोनों को बिना किसी अपराध के तुम्हारे सैनिकों