द्रोणाचार्य

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भरद्वाज का वीर्य किसी द्रोणी में स्खलित होने से जिस पुत्र का जन्म हुआ, उसे द्रोण कहा गया। ऐसा उल्लेख भी मिलता है कि भारद्वाज ने गंगा में स्नान करती घृताची को देखा, आसक्त होने के कारण जो वीर्य स्खलन हुआ, उसे उन्होंने द्रोण में रख दिया। उससे उत्पन्न बालक द्रोण कहलाया। द्रोणाचार्य भारद्वाज मुनि के पुत्र थे। ये संसार के श्रेष्ठ धनुर्धर थे। द्रोण अपने पिता भारद्वाज मुनि के आश्रम में ही रहते हुये चारों वेदों तथा अस्त्र-शस्त्रों के ज्ञान में पारंगत हो गये थे। द्रोण का जन्म उत्तरांचल की राजधानी देहरादून में बताया जाता है, जिसे 'देहराद्रोण' भी