अध्याय नौ घायल पंछी की जुम्बिश ! नवाब वाजिद अली शाह शायरों, संगीतज्ञों, हुनरमंदों की क़द्र करते थे। वे असदुल्ला खाँ ‘ग़ालिब’ को भी पाँच सौ रुपये भिजवाते रहे। उनकी महफ़िल में शायर अपना कलाम पेश करते, इज़्ज़त पाते। दाग़ देहलवी भी मुशायरों में शिरकत कर रहे थे। उनकी कुछ ग़ज़लें जाने आलम को पसन्द थीं। अवध के विलय की ख़बर दिल्ली पहुँची। बादशाह ज़फ़र भी दुखी हुए। उनके सब्र का बाँध टूट गया। अवध ने हमेशा अँग्रेजों का साथ दिया था। रुपये-पैसे से मदद की थी। उनके साथ ऐसा सुलूक? बादशाह की आँखों के आगे धुंधलका छा गया। उनकी