स्नेही मित्रों नमस्कार, स्नेह कैसा लगता है जब आप अपने पाठक मित्रों से दूर हो जाते है, बेशक कुछ समय के लिए ही सही ? मुझे तो कुछ समय में ही अकेलेपन ने अनमना कर दिया | कभी महसूस हुआ कि कैसे एक पंछी की भाँति उड़कर मातृभारती के पटल पर पहुँच जाऊँ, कभी लगा कि विवेक रखना बहुत आवश्यक है | वैसे भी विवेक के बिना कोई भी काम संभव नहीं | मैंने लगभग दो वर्ष तक अपने स्वास्थ्य का ध्यान नहीं दिया जिसका परिणाम कुछ तो होना ही था | कोई बात नहीं, मुझे पूर्ण विश्वास है कि