आँच - 7 - ग़ज़ब किया तेरे वादे पे ऐतबार किया !

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अध्याय सात ग़ज़ब किया तेरे वादे पे ऐतबार किया ! जनवरी की तेईस तारीख, कलकत्ता में गुलाबी ठंडक। आज डलहौजी बहुत ही खुश दिखाई पड़ रहे हैं। समय से अपने दफ़्तर में आकर बैठ गए। थोडी देर डाक देखते रहे। फिर उठे और सामने के लान में टहलने लगे। लखनऊ के रेजीडेन्ट कर्नल ओट्रम बुलाए गए हैं। वे कलकत्ता पहुँच चुके हैं। डलहौजी के दिमाग़ में अवध घूम रहा है। अपनी यात्राओं में उन्होंने अवध को खूब हरा भरा देखा है। कम्पनी का ख़ज़ाना भर जाएगा अवध की आमदनी से। वे सोचते रहे। इसी बीच ओट्रम आ गए। उन्हें लेकर