कहते हैं कि "सपने वो नही जो रात को सोने के बाद आए, सपने तो वो होते हैं जो खुली आंखों से देखे जाए "जिनको अपना लक्ष्य बनाए जाए, जिनको पूरा करने की चाह में दिन रात कड़ी मेहनत की जाए। उनको पाने के लिए अपने शरीर को लोहे सा मजबूत और सूरज सा तपाना पड़ता हैं। तब जाकर कहीं सपने पूरे हो पाते हैं। यूं ही नहीं मंजिल मिल जाती है जरा सा चलने से, कोसो दूर जाना पड़ता है अपनी मंजिल पाने के लिए।हम सब कभी न कभी बचपन में एक ख्वाब देखते हैं। वो ख्वाब और इच्छाएं