अध्याय छह हैरान हूँ मैं !अवध की ज़मीन ज़रखेज़ है। अवध हुकूमत की आय का ज्यादातर हिस्सा भूमि से ही प्राप्त होता। भूमि से आमदनी चार प्रकार से प्राप्त होती-खालसा, हुजूर तहसील, इज़ारा(ठेका) और अमानी। खालसा रियासतों पर अवध हुकूमत का प्रत्यक्ष अधिकार होता। इसकी वसूली नाज़िम या चकलेदार स्वयं करता। नाज़िम सरकार द्वारा नियुक्त राजस्व अधिकारी होते। चकलेदार निजी नौकर होते जो समझौते की अवधि में राजस्व की वसूली करते। चकलेदार नाज़िम के नीचे होते। हर निज़ामत में तीन-चार चकले होते। चकलों को बाद में परगनों में बदल दिया गया। परगनाधिकारी को आमिल कहा जाने लगा। नाज़िम और चकलेदार